Saturday 29 December 2012

दामिनी का पत्र


माँ सबको छोड़ कर जा रही हूँ...
मत रोना माँ, पिताजी, भैया और सखियाँ.

मुझे अपनी यादों में जरूर रखना...
याद रखना माँ एक बेटी थी तेरी...
दिल से दूर न करना पिताजी मुझे...
याद रखना भैया एक बहन भी थी तेरी....

मुझे लड़की होने का कोई अफ़सोस नहीं..
क्योंकि गलती मैंने नहीं की थी....
दरिंदगी और हैवानियत मेरे अन्दर नहीं थी...
पर यह कैसा इन्साफ है की सजा मुझे मिली...

माँ तुम्हारे आंसू मुझे इस जहाँ से रुखसत होने नहीं देंगे...
पिताजी, भैया ! मैं पहले ही बहुत तड़प चुकी हूँ...
आपकी सिसकियाँ और आंसू मुझे और तडपायेंगी...
इसीलिए रोना मत...

बिदाई का समय आ गया है...
जा रही हूँ मैं.....
पर इतना याद रखना....

"""एक बेटी थी""""

"आपकी लाडली, दामिनी" 

-------NIRAJ SHRIVASTAVA-------------

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