Sunday 22 December 2013

कहते हैं कि भूल जाओ हमें , हम मिल ना पाएंगे

कहते हैं कि भूल जाओ हमें , हम मिल ना पाएंगे,
हमारे प्यार के फूल कभी खिल ना पाएंगे,
समझ ले वो भी कि राह-ए-वफ़ा के राही हैं हम,
मर जायेंगे पर किसी और से दिल ना लगाएंगे ।

----© Niraj Shrivastava

Wednesday 18 December 2013

कैसे मैं काटूं पिया! बिरहा की रैना

कैसे मैं काटूं पिया! बिरहा की रैना,
राह निहारत तोरी, बरसे मोरे नैना ।

मोरे मन को बैरी कोयलिया समझ ना पाये,
क्यों बिरहा की अगन में ये कूक सुनाये, 
बादरिया भी आके मोहे कितना तड़पाये,
कौन सा जतन करूँ कुछ समझ ना आये ।

अब आ भी जा ओ पिया! सुन मेरा कहना, 
कैसे मैं काटूं पिया! बिरहा की रैना,
राह निहारत तोरी, बरसे मोरे नैना ।

पगली बनाये मोहे, बरखा कि बूँदें,
देखूं अब छब तुम्हरी मैं , नैनों को मूंदें । 
तुम्हरे ही रंग में पिया! मैं तो रंगी हूँ,
अपने ही अंदर में ये मैं तो नहीं हूँ । 

पीर ये मन की बहुत, कठिन है सहना,
कैसे मैं काटूं पिया! बिरहा की रैना,
राह निहारत तोरी, बरसे मोरे नैना ।

----© Niraj Shrivastava

Wednesday 4 December 2013

उन बदनाम गलियों में, दुकानदारी आज भी है

उन बदनाम गलियों में, दुकानदारी आज भी है,
अरमानों को रौंदने की,  खरीदारी आज भी है ।

शब्-ओ-रोज़ किश्तों में  मरने पर भी,
उनकी नज़रों में, रवादारी आज भी है। 

रूह घायल होता है चंद रुपयों कि खातिर,
उसमें भी कितनों की, हिस्सेदारी आज भी है ।

मासूमियत को कुचल कर जलाने कि वहाँ,
दौलत वालों की, ज़िम्मेदारी आज भी है ।

आज़ाद मुल्क में क़ैद परिंदों कि तरह,
पल पल उन पर, पहरेदारी आज भी है ।

------- © Niraj Shrivastava