मधुसूदन मुरली बजा दो फिर से,
अनुराग हर तरफ बिखरा दो फिर से,
तेरी मुरलिया मधुर गीत सुनाये,
सारे बंधन से ये हमको छुड़ाए,
शान्ति के फूल खिला दो फिर से ,
मधुसूदन मुरली बजा दो फिर से |
मन मेरा हर क्षण कहता हो जैसे,
तेरे हीं रंग में मैं रंग जाऊं ऐसे,
रंग नाही छूटे चाहे,बीते सारी रैना,
हर पल बस तुम मेरे मन में हीं रहना,
बस एक बार मुस्कुरा दो फिर से,
मधुसूदन मुरली बजा दो फिर से |
मुरलिया तेरी हिय को भी चुराये,
सुनते हीं मन के सारे द्वेष मिटाये,
ऐसी मधुरता बोलो कहाँ से तुम लाये,
कैसे तुम इतने सुन्दर सुरों को सजाये,
वो अपनी सुन्दर लीला दिखा दो फिर से,
मधुसूदन मुरली बजा दो फिर से |
-----© NIRAJ SHRIVASTAVA