Saturday 4 October 2014

छोड़ो रे कान्हा, मोरी छोड़ो कलाई

छोड़ो रे कान्हा, मोरी छोड़ो कलाई,
बीच राह छेड़त , तोहे लाज ना आई .

कान्हा सब कहत हैं तोहे भगवान्,
पर मैं जान गयी तू है बेईमान.
कैसी फंसी आज हाय रे मेरी जान,
सूरतिया लागे तोरा कितना नादान ,
बात अब तोरी मोहे समझ में आई,

छोड़ो रे कान्हा, मोरी छोड़ो कलाई,
बीच राह छेड़त , तोहे लाज ना आई .

मन मोह लेवे जब बंसुरिया बजाये,
चहुँ ओर जैसे, मिठास भर जाए,
नाजाने कैसी चाल से तू पास बुलाये,
पास बुला के मोहे कितना सताए,
चालबाज़ तूने कैसी चाल बनाई,

छोड़ो रे कान्हा, मोरी छोड़ो कलाई,
बीच राह छेड़त , तोहे लाज ना आई .

-----© Niraj Shrivastava