Saturday 10 May 2014

माँ ही है सबसे महान

जिस दिन मुझको छुआ था,
उन पाकीज़ा हाँथों नें,
कर्ज़दार रहूंगा हरदम,
कहा हमारी साँसों  नें ,
संस्कार दिए उसने मुझको,
दुनिया में इंसान बनने की,
क्या कहूँ कितनी बरक़त है,
मेरी माँ के हाँथों में ।

सीने से लगाया उसने,
मुझको नाज़ों से पाला है,
उस से ही, धरती है स्वर्ग,
उस से ही, गगन निराला है,
अपना रुधिर पिलाकर जो,
नौ माह तक रखती है,
जननीं है देवी स्वरुप,
वही संसार को रचती है।

माँ के चरणों में चार धाम,
बन जाते हैं बस सारे काम,
धूलि चरणों कि लगा ललाट,
बन जा तक़दीर का सम्राट,
स्वर में गर तुम हूँकार भरो,
माँ की ही जय-जयकार करो,
फिर आगे ही बढ़ता जायेगा,
मानवता का हित कहलायेगा ।

सुन ले तु बस बात ये मान,
माँ ही है सबसे महान ||

-------© NIRAJ SHRIVASTAVA