Sunday 21 December 2014

रहबर है तू, रहबर है तू

रहबर है तू, रहबर है तू,
मेरे इश्क़ का रहबर है तू,
मेरे आशिक़ी, मेरी बंदगी,
मेरे रूह का मजहब है तू |

मेरे रूह में यूँ समाई है,
जैसे खुशबुओं सी बस छाई है,
तेरी दिलकशी सी अदाओं से,
अब चांदनी भी शरमाई है,
इस दर्द-ए-दिल का मरहम है तू,

रहबर है तू, रहबर है तू,
मेरे इश्क़ का रहबर है तू,
मेरे आशिक़ी, मेरी बंदगी,
मेरे रूह का मजहब है तू |

तू मेरी ज़िन्दगी, मेरी जान है,
मेरे दिल का तू अरमान है,
तेरे सजदे में यूँ झुका हूँ मैं,
जैसे तू मेरा रमज़ान है,
मेरी ख्वाहिशों का अम्बर है तू,

रहबर है तू, रहबर है तू,
मेरे इश्क़ का रहबर है तू,
मेरे आशिक़ी, मेरी बंदगी,
मेरे रूह का मजहब है तू |

ये मेरी धडकनों की रफ़्तार है,
या मेरी जान ये तेरा प्यार है,
कुछ समझ नहीं पाता हूँ मैं,
कैसा चढ़ा ये बुख़ार है,
एक खुशनुमा सा खबर है तू,

रहबर है तू, रहबर है तू,
मेरे इश्क़ का रहबर है तू,
मेरे आशिक़ी, मेरी बंदगी,
मेरे रूह का मजहब है तू |

------© Niraj Shrivastava