Thursday 8 August 2013

तेरे दिल के ज़र्रे ज़र्रे में हूँ

तेरे दिल के ज़र्रे ज़र्रे में हूँ, बस लबों पे इनकार है,
हम जानते हैं बखूबी कि , तुमको भी हमसे प्यार है।

हर बार इनकार के बाद, वो तबस्सुम का आना तेरा,
बस बयाँ  करते हैं कि , हाँ! तुमको भी इकरार है।

इन हवाओं की सोहबत ने, मेरा अक्स भी  बदल  डाला,
क्या कहूँ अब दिल पे मेरे, नहीं  मेरा इख्तियार है।

बस तेरी आरज़ू है दिल में, और कुछ ख्वाहिश नहीं,
हर सितम सहने को अब तो, दिल मेरा तैयार है।

रहनुमा बन जाओ मेरे, सुन लो अपने दिल की बात,
बस चलो अब साथ मेरे, गर मुझपे ऐतबार है। 

-----Niraj Shrivastava