Saturday 28 September 2013

क़रीब आ के वो इतना, क्यों दूर हो गए

क़रीब  आ के वो इतना, क्यों दूर  हो गए,
ज़माने वालों की खातिर क्यों, मजबूर हो गए।

मेरे मौला ! बता दे मेरा क़सूर क्या था,
मेरे दिल के ज़ख्म इतने क्यों, नासूर हो गये। 

जो कभी दिल में यूँ रहते थे रहनुमा बनकर,
वो किसी और की आँखों के क्यूँ, नूर हो गये।

उनकी नज़रें तो अब मुझे पहचानती भी नहीं,
सोचता हूँ कि वो इतने क्यूँ,  मग़रूर हो गये। 

राह-ए-मुहब्बत के राही तो हम दोनों थे मगर,
मैं बना मुज़रिम तो वो क्यूँ, बेक़सूर हो गये। 
--- © Niraj Shrivastava

Wednesday 18 September 2013

अजनबी शहर के ये रास्ते, जाने पहचाने से लगते हैं

अजनबी शहर के ये रास्ते, जाने पहचाने से लगते हैं,
इन गलियों, इन चौराहों से रिश्ते पुराने से लगते हैं ।

उनके क़दम ज़रूर गुज़रे होंगे इन रास्तों से कभी,
तभी यहाँ के मौसम इतने सुहाने से लगते हैं ।

हर जुबां पर यहाँ उनका इख्तियार है इस क़दर,
जैसे हर एक लब्ज़ एक तराने से लगते हैं ।

बस एक दीद को तरस रही हैं क़ायनात सारी,
अब तो हर एक लम्हा एक ज़माने से लगते हैं। 

ये हवाएं, ये फिजायें महक रहे हैं ऐसे,
जैसे बस अभी यहाँ, वो आने से लगते हैं ।

नजाने कितनों के क़त्ल का इल्ज़ाम है उन पर,
हर इल्ज़ाम बस उनके मुस्कुराने से लगते हैं ।

------Niraj Shrivastava

Monday 16 September 2013

दिल की बात दिल में छुपाना, खूब आता है उन्हें

दिल  की बात दिल में छुपाना, खूब आता है उन्हें,
दर्द हमें देकर खुद मुस्कुराना, खूब आता है उन्हें,
वो जानते है कि बेइम्तिहा मुहब्बत है हमको उनसे,
फिर भी अपनी नज़रों को चुराना, खूब आता है उन्हे।  

-----Niraj Shrivastava

Wednesday 11 September 2013

रात, चाँद और सितारे आ गए

रात, चाँद  और सितारे आ गए,
देखो सब किस्मत के मारे आ गये।

सज गयी है महफ़िल अब हमारी भी,
तन्हाइयों के साथी जो हमारे आ गये।

रौशनी की लहर है यहाँ कुछ इस तरह,
जैसे अहसास-ए-मुहब्बत के नज़ारे आ गये।

जलते बुझते सितारे कह रहे हैं मुझसे ,
मौसम कहाँ से इतने प्यारे आ गये।

दिल के समंदर ने तो सब छुपा के रखा था,
नाजाने सारे जज़्बात कैसे किनारे आ गये।

-------Niraj Shrivastava

Sunday 1 September 2013

क्या बात है कि वो आज आये हैं हमारे घर

क्या बात है कि वो आज आये हैं  हमारे घर,
जिन्होंने अक्सर यूँ ही जलाये हैं हमारे घर,
जब  भी  आकर तोडा उसने दिल के आशियाने को,
हौसलों ने हर बार आकर बनाए हैं हमारे घर। 

-----Niraj Shrivastava