सन्नाटा क्यों है आज इस मैखाने में,
डाल दो शराब मेरे पैमाने में।
शाम का माहौल बनाओ तो दोस्तों,
अभी बहुत देर है उनको आने में।
गलियों की खाक में मिल गए हैं कई आशिक,
मोहब्बत कहाँ मिलती है अब इस ज़माने में।
कोई कल कह रहा था मुझसे आकर,
क़फ़न भिजवाया है उसने नजराने में।
देखकर मेरा जनाज़ा कहीं रो ना दे वो,
मेरे दोस्तों! ज़रा जल्दी करना मुझे दफनाने में।
-----Niraj Shrivastava
डाल दो शराब मेरे पैमाने में।
शाम का माहौल बनाओ तो दोस्तों,
अभी बहुत देर है उनको आने में।
गलियों की खाक में मिल गए हैं कई आशिक,
मोहब्बत कहाँ मिलती है अब इस ज़माने में।
कोई कल कह रहा था मुझसे आकर,
क़फ़न भिजवाया है उसने नजराने में।
देखकर मेरा जनाज़ा कहीं रो ना दे वो,
मेरे दोस्तों! ज़रा जल्दी करना मुझे दफनाने में।
-----Niraj Shrivastava