Tuesday 30 April 2013
Monday 29 April 2013
Tuesday 23 April 2013
अंदाज़ तेरा, हुस्न तेरा और तेरी ये आरज़ू
अंदाज़ तेरा, हुस्न तेरा और तेरी ये आरज़ू,
क्या बयां करती निगाहें, क्या मैं अब तुझसे कहूँ।
प्यार के नाज़ुक जज़्बात और ये दिल के हालात,
लबों पे आते नहीं, तू बोल अब मैं क्या करूँ।
सब समझते हो फिर भी, पास क्यों आते नहीं,
प्यास वस्ल की रह ही जाती, क्यों भला प्यासा रहूँ।
आये हो जब पास मेरे, रात रही है गुज़र,
सुबह के आने का दर्द है, क्यों भला मैं ये सहूँ।
ए खुदा! आवाज़ देकर रात को तू रोक ले,
क़ैद कर इस लम्हे को ज़हन-ओ-दिल के हवाले कर तो दूँ।
-------Niraj Shrivastava
Tuesday 16 April 2013
अपने अलफ़ाज़ को सीने से लगा रखा है
अपने अलफ़ाज़ को सीने से लगा रखा है,
पाकीज़गी के रिश्ते को बचा रखा है।
लोग कहते हैं बिखर जाओगे तूफानों से,
कई तूफ़ान को दिल में ही दबा रखा है।।
कई रातों से इन आँखों को जगा रखा है,
उनकी यादों को शिद्दत से सजा रखा है।
कोई तो आएगा बन के मेरे ग़म का साथी,
इसीलिए दूसरा जाम भी बना रखा है।।
बड़े नज़दीक से दर्द का जो समां चखा है,
अभी तक स्वाद जुबां पर वो बना रखा है।
उजालों की अब तो आदत ही नहीं है मुझको,
अंधेरों से अब एक रिश्ता जो बना रखा है।।
------Niraj Shrivastava
Monday 1 April 2013
ख़ुमार-ए-इश्क के अहसास से चली आओ
ख़ुमार-ए-इश्क के अहसास से चली आओ,
मेरे दिल को भी सनम साथ ले चली आओ।
तुम्हारी यादों के मंज़र में घिर गया हूँ मैं,
मिटा के अब तुम ये फ़ासले चली आओ।।
घर अपना तो इरादों का बड़ा सच्चा है,
अरमां दिल का न मेरे पास सनम कच्चा है।
घर से निकलो कभी संवर के तुम मेरी ख़ातिर,
पायल छनकाती हुई पास तुम चली आओ।।
तुम्हारी फितरतों के हम भी सनम क़ायल हैं,
तुम्हारे नैनों की शरारतों से घायल हैं।
तुम्हारे बिन तो अब मैं जानेमन अधूरा हूँ,
कर दो पूरा मुझे तुम बस अभी चली आओ।।
--------Niraj Shrivastava
Subscribe to:
Posts (Atom)