अपने अलफ़ाज़ को सीने से लगा रखा है,
पाकीज़गी के रिश्ते को बचा रखा है।
लोग कहते हैं बिखर जाओगे तूफानों से,
कई तूफ़ान को दिल में ही दबा रखा है।।
कई रातों से इन आँखों को जगा रखा है,
उनकी यादों को शिद्दत से सजा रखा है।
कोई तो आएगा बन के मेरे ग़म का साथी,
इसीलिए दूसरा जाम भी बना रखा है।।
बड़े नज़दीक से दर्द का जो समां चखा है,
अभी तक स्वाद जुबां पर वो बना रखा है।
उजालों की अब तो आदत ही नहीं है मुझको,
अंधेरों से अब एक रिश्ता जो बना रखा है।।
------Niraj Shrivastava
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