उनको रखते हैं हम महफूज़ दिल की बस्ती में,
बस प्यार के पतवार हैं हमारी कश्ती में।
कई तूफ़ान आये मुझसे टकराने यूँ ही,
दिखा दिया उन्हें औकात हमारी हस्ती ने।
सेहरा में दूर तक सफ़र कर के हमने,
रेत का हिसाब कर दिया यूँ ही मस्ती में।
ज़िन्दगी की दौड़ में कभी सोया ही नहीं,
अब तो सपने भी आते हैं ज़बरदस्ती में।
समंदर की लहरें भी अब बेखौंफ़ घूमती हैं,
उन्हें मालुम है वो हैं हमारी सरपरस्ती में
--------Niraj Shrivastava
बस प्यार के पतवार हैं हमारी कश्ती में।
कई तूफ़ान आये मुझसे टकराने यूँ ही,
दिखा दिया उन्हें औकात हमारी हस्ती ने।
सेहरा में दूर तक सफ़र कर के हमने,
रेत का हिसाब कर दिया यूँ ही मस्ती में।
ज़िन्दगी की दौड़ में कभी सोया ही नहीं,
अब तो सपने भी आते हैं ज़बरदस्ती में।
समंदर की लहरें भी अब बेखौंफ़ घूमती हैं,
उन्हें मालुम है वो हैं हमारी सरपरस्ती में
--------Niraj Shrivastava