Wednesday 11 September 2013

रात, चाँद और सितारे आ गए

रात, चाँद  और सितारे आ गए,
देखो सब किस्मत के मारे आ गये।

सज गयी है महफ़िल अब हमारी भी,
तन्हाइयों के साथी जो हमारे आ गये।

रौशनी की लहर है यहाँ कुछ इस तरह,
जैसे अहसास-ए-मुहब्बत के नज़ारे आ गये।

जलते बुझते सितारे कह रहे हैं मुझसे ,
मौसम कहाँ से इतने प्यारे आ गये।

दिल के समंदर ने तो सब छुपा के रखा था,
नाजाने सारे जज़्बात कैसे किनारे आ गये।

-------Niraj Shrivastava

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