तन्हाई की आँधियों से खुदा बता कैसे लडूं,
हर तरफ सूनापन है, किस राह पर कैसे चलूँ...
कैसे चलूँ उस राह पर बेवफ़ाइयां जहाँ बिखरी पड़ीं,
कैसे हटाऊँ मैं इन्हें, कदमों को मैं कैसे रखूं....
हर तरफ सूनापन है, किस राह पर कैसे चलूँ...
कैसे चलूँ उस राह पर बेवफ़ाइयां जहाँ बिखरी पड़ीं,
कैसे हटाऊँ मैं इन्हें, कदमों को मैं कैसे रखूं....
मंज़िल अब दिखती नहीं यादों के घने कोहरे से,
खुद ही घिर गया हूँ मैं अपने वफ़ा के मोहरे से...
ज़हन में उनकी तस्वीर लेकर आगे मैं कैसे बढूँ,
तन्हाई की आँधियों से खुदा बता कैसे लडूं......
रिश्ता भी अब टूट गया उन खेतों उन खलिहानों से,
लहलहाते थे फ़सल जहाँ उनकी मुस्कानों से....
बेवक़्त न निकलो आँखों से, अश्कों से कैसे कहूँ,
तन्हाई की आँधियों से खुदा बता कैसे लडूं.......
------- Niraj Shrivastava
खुद ही घिर गया हूँ मैं अपने वफ़ा के मोहरे से...
ज़हन में उनकी तस्वीर लेकर आगे मैं कैसे बढूँ,
तन्हाई की आँधियों से खुदा बता कैसे लडूं......
रिश्ता भी अब टूट गया उन खेतों उन खलिहानों से,
लहलहाते थे फ़सल जहाँ उनकी मुस्कानों से....
बेवक़्त न निकलो आँखों से, अश्कों से कैसे कहूँ,
तन्हाई की आँधियों से खुदा बता कैसे लडूं.......
------- Niraj Shrivastava
Khuda kuch na bata payega tujhe
ReplyDeleteJala ke chirag e jashn jindgi me..
bhejta hai gham e toofan wahi..
Ki hai shak uski niyat e khudai pe mujhe
Shayad hi batayega wo tujhe rasta sahi...