Thursday 13 December 2012

ए खुदा ये मुक़द्दर

ए खुदा ये मुक़द्दर तू बनाता है क्यों,
कुछ चेहरे को यूँ ख़ास बनाता है क्यों....
बनाता है क्यों दिल में तू जज़्बात यूँ ही,
फिर दर्द भर के दिल को तड़पाता है क्यों....

तुझे एहसास नहीं बिछड़ने का दर्द क्या है,
फिर ऐसे फैसले पर अपनी मुहर लगाता है क्यों...
दिल के पावन एहसास को जब वो समझता ही नहीं,
फिर ऐसे दिल के पास तू ले जाता है क्यों....

दिल में बस दर्द का समंदर है और कुछ नहीं,
जिंदा रहते इंसान इसमें डूब जाता है क्यों...
तुझ से इतनी गलतियाँ होने के बाद भी,
इस जहां में तू खुदा कहलाता है क्यों....

-----Niraj Shrivastava

1 comment:

  1. Khuda ke dar pe ek gadhdha hai khuda
    Jisko logo ne diya hai naam e muhabbat
    To gar jo jana ho dar e khuda
    Girkar uss gadhdhe me
    hona padta hai apno se juda

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