Sunday 16 December 2012

मुझको अब यूँ तनहा कर, क्या नींद तुम्हें आ जाती है

मुझको अब यूँ तनहा कर, क्या नींद तुम्हें आ जाती है,
आ जाता हैं चैन तुम्हें, अब रैन तुम्हें क्या भाती है,
सपनों की महफ़िल में क्या, आराम तुम्हें मिल जाता है,
सावन बदरा की बातें क्या, अब तुझको नहीं सताती हैं ।

देख देख एक दूजे को, दिन रात गुज़रते थे ऐसे,
सदियों की बस दूरियां, पल भर में मिटते थे जैसे,
यादों के सागर को तू, क्या सहज पार कर जाती है,
मुझको अब यूँ तनहा कर, क्या नींद तुम्हें आ जाती है

कसमों वादों से बुना था, हमने अपना संसार कभी,
कहते थे एक दूजे से, कम न होगा ये प्यार कभी,
बेसुध होकर दीवानों सा, क्या तू भी अश्क बहाती है,
मुझको अब यूँ तनहा कर, क्या नींद तुम्हें आ जाती है

-----© NIRAJ SHRIVASTAVA

1 comment:

  1. Aa jaati hai neend use aa jaata hai use chain,
    Wo din ho gaye fana jb bin tere kat te nahi the uske raiin,
    Tumhe nhi pata aye dost kuch log hote hain jaalim kitne...
    Utaarkar khanjar e dhokha peeth me.. mila sakte hain duniya se naiin

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