मोहब्बत की दीवानगी कुछ इस तरह छाती रही,
हिचकियों के साथ बस याद तू आती रही.
हवाएं लेकर आ गयीं जब, तेरी मौजूदगी का एहसास,
चाँद को देखता रहा, और रात बस जाती रही..
हर वक़्त गूंजती है दिल में, अब तेरी वो आवाज़,
सुनते ही जिसको हो गया था, इश्क का आग़ाज़.
दिल के एहसास को तू नज़रों रे बतलाती रही,
चाँद को देखता रहा, और रात बस जाती रही..
चाँद जब जब बादलों के आगोश में खो जाता है,
धडकनों की रफ़्तार को नजाने क्या हो जाता है.
मोहब्बतों के गीतों को, कायनात सुनाती रही,
चाँद को देखता रहा, और रात बस जाती रही..
-----Niraj Shrivastava
Wo aati rahi wo jaati rahi
ReplyDeleteHumein muhabbat k sabjbag dikhati rahi
Humne to karli thi aankein band apni
Aur wo humein jinda kabra me dafnati rahi