हे कृष्ण! देख तेरी धरा पर क्या हुआ है,
अधर्मियों के सामने, आज धर्म सोया हुआ है..
हर दिशा में हर तरफ, बस चीखें सुनाई देतीं हैं,
और हर तरफ बस नफरतों का बीज सा बोया हुआ है..
अधर्मियों के सामने, आज धर्म सोया हुआ है..
हर दिशा में हर तरफ, बस चीखें सुनाई देतीं हैं,
और हर तरफ बस नफरतों का बीज सा बोया हुआ है..
आज बहन बेटियों पर हो रहा अत्याचार है,
खामोश है क्यों आज तू, यह कैसा व्यवहार है..
शायद अब रक्षकों का, आत्मा तक संडा हुआ है,
और हर तरफ बस नफरतों का बीज सा बोया हुआ है..
कर्म अगर प्रधान है, तो ऐसे कर्म क्यों होते है,
न्याय की दहलीज पर अब,अश्रु के बूँद क्यों होते हैं..
पापियों ने न्याय के रुधिर से हाथ धोया हुआ है,
और हर तरफ बस नफरतों का बीज सा बोया हुआ है..
खो गयीं हैं खुशबुएँ अब फूलों की क्यारियों से,
मिल गए हैं सारथी अब, बारूद के व्यापारियों से..
तेरी बनायी धरती पर, मानवता खोया हुआ है,
और हर तरफ बस नफरतों का बीज सा बोया हुआ है..
-----Niraj Shrivastava
खामोश है क्यों आज तू, यह कैसा व्यवहार है..
शायद अब रक्षकों का, आत्मा तक संडा हुआ है,
और हर तरफ बस नफरतों का बीज सा बोया हुआ है..
कर्म अगर प्रधान है, तो ऐसे कर्म क्यों होते है,
न्याय की दहलीज पर अब,अश्रु के बूँद क्यों होते हैं..
पापियों ने न्याय के रुधिर से हाथ धोया हुआ है,
और हर तरफ बस नफरतों का बीज सा बोया हुआ है..
खो गयीं हैं खुशबुएँ अब फूलों की क्यारियों से,
मिल गए हैं सारथी अब, बारूद के व्यापारियों से..
तेरी बनायी धरती पर, मानवता खोया हुआ है,
और हर तरफ बस नफरतों का बीज सा बोया हुआ है..
-----Niraj Shrivastava
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