मन तो तेरा हुआ रे मोहन, अब तो आजा..
पगली बन के घूमूं वन वन, अब तो आजा..
तेरे ही रंग में देख रंग गयी हूँ मैं,
तेरी हीं अब राह निहारूं, अब तो आजा...
हे गिरिधारी! हे गोपाल! दर्शन देदे आज तू.
दया कर अब इस पगली पर, सुन ले मेरी पुकार तू..
आरती गाये तेरी जोगन, अब तो आजा...
मन तो तेरा हुआ रे मोहन, अब तो आजा....
तेरी एक झलक को प्यासी हूँ हे मधुसुदन!
तुझ से ही बस जुड़ गया है मन का बंधन.
तरस खा मुझ पर हे भगवन, अब तो आजा..
मन तो तेरा हुआ रे मोहन, अब तो आजा.
----Niraj Shrivastava
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