Tuesday 8 January 2013

कई हिन्दू , कई मुसलमान हो गए हैं


कई हिन्दू , कई मुसलमान हो गए हैं,
इस भीड़ में अब कहाँ इंसान खो गए हैं।
खुश होते हैं एक दूजे का लहू बहाकर,
धर्म के नाम पर सब हैवान हो गए हैं।।

ईश्वर और अल्लाह को अलग समझते हैं,
धर्म को बेचते हैं ये, गलत समझते हैं।
ईमान तो दिखता नहीं, बेइमान हो गए हैं,
कई हिन्दू , कई मुसलमान हो गए हैं।।

अमन का पैग़ाम है, गीता और क़ुरान में,
कोई भी अंतर नहीं है कलमा और पुराण में।
इंसानियत को मार कर, शैतान हो गए हैं,
कई हिन्दू , कई मुसलमान हो गए हैं।।

हथियार नहीं पहचानते, हिन्दू मुसलमान,
मरता कोई धर्म नहीं, मरता है इंसान।
बहुत ज्यादा , शमशान और कब्रिस्तान हो गए हैं,
कई हिन्दू , कई मुसलमान हो गए हैं,।।

-----Niraj Shrivastava

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