उनसे नज़रें मिलाकर आया हूँ दोस्तों!
एक अजनबी एहसास साथ लाया हूँ दोस्तों!
उनको देखा तो बस देखता ही रह गया,
दिल उन्हीं के पास छोड़ आया हूँ दोस्तों!
नयी सी क्यों लगती है आज सारी कायनात,
कल तक तो वही दिन था और थी वही रात,
नींद आती नहीं अब खुद को जगाया हूँ दोस्तों!
दिल उन्हीं के पास छोड़ आया हूँ दोस्तों!
कैसे बयाँ करूँ मैं उनसे दिल के जज़बातों को,
कैसे जवाब दूंगा मैं उनके सवालातों को,
उनकी यादों में दुनिया को भुलाया हूँ दोस्तों!
दिल उन्हीं के पास छोड़ आया हूँ दोस्तों!
---Niraj Shrivastava
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