Monday 4 March 2013

तेरी आँखों की इनायत और करम लिख दूंगा


तेरी आँखों की इनायत और करम लिख दूंगा,
तेरी सूरत को मैं दुनिया का भरम लिख दूंगा।

आते हो दिल के दरवाज़े पे जो दस्तक देकर,
अपने दिल को भी मैं अल्लाह का करम लिख दूंगा।

ऐसे देखो न तुम शरमा के अब यूँ मेरी तरफ,
तेरी मुस्कान को मैं ज़ख्मों का मरहम लिख दूंगा।

तेरे अंदाज़-ए-हुस्न को बयां करते हैं जो लोग,
उनके लब्जों को तो मैं बस एक वहम लिख दूंगा।।

------Niraj Shrivastava

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