Thursday 14 March 2013

दिल के इन दरख्तों पर, नाम बस तुम्हारा है


दिल के इन दरख्तों पर, नाम बस तुम्हारा है,
दर्द के समंदर पर, हक़ तो बस हमारा है।

क्या दुआ मैं मांगू अब, देखकर आसमां की तरफ,
जो खुद हो रहा है फ़ना, टूटा हुआ सितारा है।

तुम जो हमसे मिलते थे, बस यही तो कहते थे,
दिल जो ये तुम्हारा है, आशियाँ अब हमारा है।

शब्-ओ-रोज़ सोचता हूँ मैं, क्या है मिल्कियत मेरी,
हिजरतों की आंधी में, यादों का जो सहारा है।

-----Niraj Shrivastava

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