कई मायूस रातों का हिसाब अभी बाकी है,
कई बातों के खुलने का किताब अभी बाकी है।
जिनके आने से अक्सर महकते थे ये शज़र,
उनके इंतज़ार में आनेवाला सैलाब अभी बाकी है।
सवालों के दायरे से वो कभी गुज़रे हीं नहीं,
उन्हें क्या पता, कितने जवाब अभी बाकी हैं।
सेहराओं को भी हर बार समंदर जो कर दे,
उनके नज़रों से पीनेवाली शराब अभी बाकी है।
आज मुक़द्दर में मेरी ज़िन्दगी अता कर मेरे मौला,
स्याह रातों में आनेवाला माहताब अभी बाकी है।
----------Niraj Shrivastava
कई बातों के खुलने का किताब अभी बाकी है।
जिनके आने से अक्सर महकते थे ये शज़र,
उनके इंतज़ार में आनेवाला सैलाब अभी बाकी है।
सवालों के दायरे से वो कभी गुज़रे हीं नहीं,
उन्हें क्या पता, कितने जवाब अभी बाकी हैं।
सेहराओं को भी हर बार समंदर जो कर दे,
उनके नज़रों से पीनेवाली शराब अभी बाकी है।
आज मुक़द्दर में मेरी ज़िन्दगी अता कर मेरे मौला,
स्याह रातों में आनेवाला माहताब अभी बाकी है।
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