खुशियों के यूँ दीप जलाएं ,
धरती अम्बर तक जगमगायें ,
मन के सारे द्वेष मिटायें,
आओ दीपावली मनाएं ।
मीठी बोली हरदम बोलें ,
ह्रदय के सारे द्वार को खोलें ,
अंधियारे को दूर भगाएं ,
आओ दीपावली मनाएं ।
समाज को जागृत करें,
संस्कारों में अमृत भरें,
अपने सब कर्त्तव्य निभाएं ,
आओ दीपावली मनाएं ।
-----Niraj Shrivastava
धरती अम्बर तक जगमगायें ,
मन के सारे द्वेष मिटायें,
आओ दीपावली मनाएं ।
मीठी बोली हरदम बोलें ,
ह्रदय के सारे द्वार को खोलें ,
अंधियारे को दूर भगाएं ,
आओ दीपावली मनाएं ।
समाज को जागृत करें,
संस्कारों में अमृत भरें,
अपने सब कर्त्तव्य निभाएं ,
आओ दीपावली मनाएं ।
-----Niraj Shrivastava
No comments:
Post a Comment