ये ज़िन्दगी! साली कमीनी है।
कभी जागती, कभी जगाती है,
कभी भागती, कभी भगाती है,
कभी दौड़ती अनदेखी राहों पे,
कभी उड़ती ये आसमानों में,
इसकी हसरतें! कैसी रंगीनी है,
ये ज़िन्दगी! साली कमीनी है।
आ जाती है किसी की बातों में,
सपने बुनती है अकेली रातों में,
आता नहीं जब कुछ हाथ में,
कहती है दोस्तों के साथ में,
ऐ भाई! चल दारु अभी पीनी है,
ये ज़िन्दगी! साली कमीनी है।
सपनो कि बस एक उड़ान में,
पूरे करने की ताम-झाम में,
कुछ करो तो डराती है,
कुछ ना करो तो सताती है,
साली ये कैसी छीना-छीनी है,
ये ज़िन्दगी! साली कमीनी है।
ये ज़िन्दगी! साली कमीनी है।
------© NIRAJ SHRIVASTAVA
कभी जागती, कभी जगाती है,
कभी भागती, कभी भगाती है,
कभी दौड़ती अनदेखी राहों पे,
कभी उड़ती ये आसमानों में,
इसकी हसरतें! कैसी रंगीनी है,
ये ज़िन्दगी! साली कमीनी है।
आ जाती है किसी की बातों में,
सपने बुनती है अकेली रातों में,
आता नहीं जब कुछ हाथ में,
कहती है दोस्तों के साथ में,
ऐ भाई! चल दारु अभी पीनी है,
ये ज़िन्दगी! साली कमीनी है।
सपनो कि बस एक उड़ान में,
पूरे करने की ताम-झाम में,
कुछ करो तो डराती है,
कुछ ना करो तो सताती है,
साली ये कैसी छीना-छीनी है,
ये ज़िन्दगी! साली कमीनी है।
ये ज़िन्दगी! साली कमीनी है।
------© NIRAJ SHRIVASTAVA
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